पिछले एक साल में शेयर बाजार ने उतार-चढ़ाव का माहौल बनाया रखा। कभी बड़ी गिरावट देखने को मिली, तो कभी तेजी ने उम्मीद जगाई। ऐसे समय में निवेशकों के लिए यह समझना आसान नहीं था कि किस फंड में भरोसा किया जाए। लेकिन कुछ म्यूचुअल फंड्स ऐसे रहे जिन्होंने बाजार की अस्थिरता के बावजूद जबरदस्त रिटर्न देकर निवेशकों को हैरान कर दिया। आइए जानते हैं कि किन फंड्स ने बेहतर प्रदर्शन किया और निवेशकों को इससे क्या सीख लेनी चाहिए।
गिरावट में भी चमके कुछ फंड्स
बाजार की कमजोरी के बावजूद चुनिंदा म्यूचुअल फंड्स ने 30% से अधिक का रिटर्न दिया। खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़े फंड्स ने बेहतर प्रदर्शन किया। इन फंड्स ने टेक्नोलॉजी, माइनिंग और कंज्यूमर ट्रेंड्स जैसे सेक्टर्स में निवेश करके निवेशकों को शानदार मुनाफा कराया। यह दर्शाता है कि ग्लोबल ट्रेंड्स को ध्यान में रखकर किया गया निवेश कई बार घरेलू बाजार से अधिक लाभदायक साबित हो सकता है।
विदेशी फंड्स का दबदबा
इस साल विदेशी निवेश पर आधारित फंड्स का प्रदर्शन सबसे प्रभावशाली रहा। अमेरिकी और एशियाई बाजारों में बढ़त से जुड़े फंड्स ने निवेशकों को तगड़ा फायदा पहुंचाया। खासकर टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर आधारित फंड्स ने निवेशकों के पोर्टफोलियो को मजबूती दी। यह रुझान साफ करता है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में अंतरराष्ट्रीय फंड्स को भी शामिल करना चाहिए।
घरेलू फंड्स की भूमिका
हालांकि विदेशी फंड्स ने ज्यादा मुनाफा दिलाया, लेकिन कुछ भारतीय म्यूचुअल फंड्स भी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहे। धातु, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल से जुड़े घरेलू फंड्स ने 30% से अधिक रिटर्न देकर निवेशकों का भरोसा कायम रखा। यह बताता है कि भारतीय बाजार में भी अवसरों की कमी नहीं है, बस सही सेक्टर और सही समय पर निवेश करना जरूरी है।
नुकसान उठाने वाले फंड्स
जहां कई फंड्स ने निवेशकों की कमाई बढ़ाई, वहीं बड़ी संख्या में फंड्स ऐसे भी रहे जिन्होंने घाटा कराया। कुछ फंड्स में 10% से लेकर 20% तक की गिरावट दर्ज की गई। यह स्थिति निवेशकों को याद दिलाती है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश हमेशा रिस्क के साथ आता है और बिना रिसर्च के किया गया निवेश नुकसानदायक साबित हो सकता है।
निवेशकों के लिए सबक
इस पूरे साल से निवेशकों को यह सबक लेना चाहिए कि:
- केवल घरेलू बाजार पर निर्भर रहना सही रणनीति नहीं है।
- अंतरराष्ट्रीय फंड्स पोर्टफोलियो को संतुलन और मजबूती देते हैं।
- जोखिम प्रोफाइल और निवेश अवधि के हिसाब से ही फंड का चुनाव करना चाहिए।
- नियमित रूप से अपने निवेश की समीक्षा करना जरूरी है।
निष्कर्ष
पिछले एक साल के प्रदर्शन से यह साफ है कि म्यूचुअल फंड्स में विविधता (Diversification) ही सबसे बड़ी ताकत है। कुछ फंड्स ने गिरते बाजार में भी 70% तक का रिटर्न दिया, जबकि कुछ फंड्स ने नुकसान पहुंचाया। इसलिए निवेशकों को समझदारी से फैसले लेने चाहिए और अपने पोर्टफोलियो में घरेलू और विदेशी दोनों तरह के फंड्स का संतुलन बनाए रखना चाहिए। यही रणनीति लंबे समय में बेहतर रिटर्न और सुरक्षित निवेश का आधार बन सकती है।