पिछले कुछ समय से खबरें आ रही थीं कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) पर ट्रांजेक्शन चार्ज लग सकता है। इससे लोगों में यह सवाल उठने लगा कि क्या अब डिजिटल पेमेंट्स मुफ्त नहीं रहेंगे। इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि अभी फिलहाल UPI ट्रांजेक्शन पर शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। आइए विस्तार से समझते हैं कि मामला आखिर है क्या और भविष्य में क्या संभावनाएं बन सकती हैं।
यूपीआई की वर्तमान स्थिति
आज के समय में यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म है। छोटे-बड़े दुकानदार से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग और बिल पेमेंट तक, लोग सबसे ज्यादा यूपीआई का ही इस्तेमाल करते हैं। अगस्त 2025 के आंकड़े बताते हैं कि एक ही महीने में लगभग 20 अरब ट्रांजेक्शन यूपीआई के जरिए पूरे हुए, जो इसकी जबरदस्त लोकप्रियता को दिखाता है। सरकार ने इस व्यवस्था को आम जनता तक पहुंचाने के लिए इसे फिलहाल मुफ्त रखा है और इसके खर्च को सब्सिडी के जरिए वहन किया जा रहा है।
क्या भविष्य में शुल्क लग सकता है?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि किसी भी पेमेंट सिस्टम को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए उसकी लागत का भुगतान जरूरी होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जरूरी नहीं कि यह खर्च आम जनता ही करे, बल्कि सरकार या कोई अन्य संस्था भी इसे वहन कर सकती है। मतलब साफ है कि यूपीआई को हमेशा के लिए मुफ्त रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। हालांकि, फिलहाल इस पर शुल्क लगाने की कोई योजना नहीं है और लोग निश्चिंत होकर इसका उपयोग कर सकते हैं।
क्यों उठती है यह चर्चा?
डिजिटल पेमेंट्स की बढ़ती संख्या के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्वर, सुरक्षा और अन्य तकनीकी व्यवस्थाओं पर लगातार खर्च होता है। यही कारण है कि कई बार विशेषज्ञ यह सवाल उठाते हैं कि अगर सारी सेवाएं मुफ्त रहेंगी तो उनकी स्थिरता कैसे बनी रहेगी। गवर्नर ने भी यही संकेत दिया कि किसी न किसी रूप में इस लागत को चुकाना होगा। लेकिन फिलहाल सरकार की प्राथमिकता इसे जनता के लिए आसान और सुलभ बनाए रखना है।
जनता के लिए क्या मायने हैं?
आम लोगों के लिए फिलहाल सबसे राहत की बात यह है कि यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कोई चार्ज नहीं लगाया जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि वे रोजमर्रा के पेमेंट्स जैसे मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट, शॉपिंग या दोस्तों को पैसे भेजने जैसे कार्य बिना किसी अतिरिक्त बोझ के कर सकते हैं। इससे डिजिटल इंडिया का सपना और मजबूत होता है।
निष्कर्ष
संक्षेप में कहें तो यूपीआई फिलहाल पूरी तरह मुफ्त है और इस पर किसी तरह का शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हां, भविष्य में इसके मॉडल को टिकाऊ बनाए रखने के लिए सरकार या अन्य संस्थाओं को लागत वहन करनी होगी। आम उपभोक्ताओं के लिए अभी किसी तरह की चिंता की जरूरत नहीं है और वे पहले की तरह ही यूपीआई का इस्तेमाल करते रह सकते हैं।