भारत बना दुनिया का सबसे किफायती डेटा सेंटर हब, अमेरिका-ब्रिटेन रह गए पीछे

आज के समय में डिजिटल दुनिया की रीढ़ डेटा सेंटर माने जाते हैं। इंटरनेट, मोबाइल ऐप्स, डिजिटल पेमेंट और क्लाउड सर्विसेज़ के बढ़ते इस्तेमाल ने डेटा स्टोरेज की मांग को कई गुना बढ़ा दिया है। इस बीच भारत तेजी से दुनिया का सबसे किफायती और आकर्षक डेटा सेंटर हब बनकर उभर रहा है। कम लागत, सरकारी नीतियों का समर्थन और डिजिटल कानूनों की वजह से भारत अब वैश्विक कंपनियों की पहली पसंद बन रहा है।

भारत में सबसे कम लागत पर डेटा सेंटर

भारत की सबसे बड़ी ताकत इसकी कम लागत है। यहां एक वॉट का डेटा सेंटर तैयार करने में औसतन सिर्फ 7 डॉलर खर्च आता है। तुलना करें तो जापान, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में यही लागत 10 से 14 डॉलर तक पहुंच जाती है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। चीन भले ही थोड़ा सस्ता है, लेकिन भारत की डिजिटल डिमांड और विकास दर को देखते हुए यहां संभावनाएं कहीं ज्यादा हैं।

हाइपरस्केल डेटा सेंटर्स की बढ़ती संख्या

2019 में भारत में जहां सिर्फ 5 बड़े हाइपरस्केल डेटा सेंटर थे, वहीं 2024 तक इनकी संख्या बढ़कर 15 हो गई है। इसका सीधा मतलब है कि इंटरनेट उपयोग, ऑनलाइन सर्विसेज़ और मोबाइल ऐप्स के प्रसार ने डेटा स्टोरेज की जरूरतों को कई गुना बढ़ा दिया है। इसके अलावा कोलोकेशन स्पेस यानी किराए पर मिलने वाली डेटा स्टोरेज क्षमता भी बीते पांच सालों में चार गुना बढ़ चुकी है।

राज्य सरकारों की आकर्षक नीतियां

भारत के कई राज्य निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विशेष नीतियां लागू कर रहे हैं। उदाहरण के लिए:

  • तमिलनाडु बिजली पर 100% सब्सिडी और डबल पावर सप्लाई की सुविधा देता है।
  • उत्तर प्रदेश ने ओपन एक्सेस बिजली और ट्रांसमिशन शुल्क पर छूट दी है।
  • तेलंगाना ने नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देकर कंपनियों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई है।
  • महाराष्ट्र बिजली पर आजीवन छूट और शुरुआती 5 सालों तक अतिरिक्त सब्सिडी दे रहा है।

इन नीतियों की वजह से अलग-अलग राज्यों में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है और कंपनियां अपने डेटा सेंटर तेजी से स्थापित कर रही हैं।

कानूनी ढांचे का असर

भारत सरकार ने डेटा लोकलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए कई कानून लागू किए हैं।

  • RBI ने 2018 में सभी पेमेंट कंपनियों को आदेश दिया कि भारतीय डेटा देश के भीतर ही रखा जाए।
  • SEBI ने वित्तीय कंपनियों के लिए भी ऐसे ही नियम लागू किए।
  • DPDP एक्ट 2023 के तहत सरकार जरूरत पड़ने पर कंपनियों को डेटा भारत से बाहर भेजने पर रोक लगा सकती है।

इन कड़े नियमों की वजह से कंपनियों के लिए भारत में डेटा सेंटर स्थापित करना अब एक मजबूरी और अवसर दोनों बन गया है।

भविष्य की संभावनाएं

फिलहाल दुनिया के कुल डेटा सेंटरों में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 3% है, जबकि डेटा खपत में भारत का योगदान 20% से ज्यादा है। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में भारत में डेटा सेंटर की मांग विस्फोटक रूप से बढ़ेगी। कम लागत, सरकारी समर्थन और विशाल डिजिटल मार्केट की वजह से भारत निश्चित रूप से वैश्विक डेटा हब बनने की राह पर है।

निष्कर्ष

भारत आज डिजिटल क्रांति के नए दौर से गुजर रहा है। जिस तेजी से डेटा सेंटरों की मांग और निवेश बढ़ रहा है, उससे साफ है कि आने वाले समय में भारत न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर हब बन सकता है। यह न केवल रोजगार और निवेश को बढ़ावा देगा बल्कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा।

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